हँसी ख़ामोश हो जाती, ख़ुशी ख़तरे में पड़ती है ।
यहाँ हर रोज़ कोई
‘दामिनी’ ख़तरे में पड़ती है ।
जुआ खेला था तो ख़ुद झेलते
दुशवारियाँ उसकी ,
भला उसके लिए क्यों द्रौपदी ख़तरे में पड़ती है ।
हमारे तीर्थों के रास्ते
हैं इस क़दर मुश्किल,
पहुँच जाओ अगर
तो वापसी ख़तरे में पड़ती है ।
पहाड़ों - जंगलों से तो सुरक्षित है निकल आती,
मगर शहरों के पास आकर नदी ख़तरे में
पड़ती है ।
तभी वो दूसरे
आधार पर ईनाम देते हैं,
अगर प्रतिभा को देखें, रेवड़ी
ख़तरे में पड़ती है ।
ज़रा बच्चों के ‘मिड-डे-मील’ को तो बख़्श दो भाई
ये
हैं मासूम, इनकी ज़िन्दगी ख़तरे में पड़ती है ।
परोसा है ग़ज़ल के नाम पर फिर ‘फेसबुक’ ने कुछ
नहीं ‘लाइक’ करूँ
तो दोस्ती ख़तरे में पड़ती है ।