बेशक कुछ नुकसान बढा
पर जीवन का ज्ञान बढ़ा.
दुनिया तुझको जान गई
अब खुद से पहचान बढ़ा.
जब भी शहर से लौटे हम
घर में कुछ सामान बढ़ा.
छोड़ के निकला अपना घर
तब आगे इंसान बढ़ा.
सिंधु असीमित था फिर भी
साहस कर जलयान बढ़ा.
या दुख ही कुछ कम कर ले
या हिम्मत भगवान बढ़ा.
तुमको सम्मानित करके
मेरा भी सम्मान बढ़ा.
मंगलवार, जनवरी 24
ऊँट किस करवट मियाँ ....
आएगी सरकार किसकी है बड़ा संकट मियाँ
देखिए अब बैठता है ऊँट किस करवट मियाँ
तुम चले जाओ किसी संसद में,ये मत भूलना
चूमनी है लौटकर कल फिर यही चौखट मियाँ
कुछ ज़रूरत ज़िंदगी की,कुछ उसूलों के सवाल
चल रही है इन दिनों खुद से मेरी खट पट मियाँ
मुश्किलें आएं तो हंसकर झेलना भी सीखिए
ज़िंदगी वर्ना लगेगी आपको झंझट मियाँ
बदहवासी का ये आलम क्यूं है बतलाओ ज़रा
लोग भागे जा रहे हैं किसलिए सरपट मियाँ
जिनसे हम उम्मीद करते हैं, संवारेंगे इसे
कर रहे हैं मुल्क को वो लोग ही चौपट मियाँ.
गाँव आकर ढूँढता हूँ गाँव वाले चित्र वो
छाँव बरगद की किधर है?है कहाँ पनघट मियाँ
पीढ़ियों को कौन समझायेगा कल पूछेंगी जब
लाज क्या होती है क्या होता है ये घूंघट मियाँ
देखिए अब बैठता है ऊँट किस करवट मियाँ
तुम चले जाओ किसी संसद में,ये मत भूलना
चूमनी है लौटकर कल फिर यही चौखट मियाँ
कुछ ज़रूरत ज़िंदगी की,कुछ उसूलों के सवाल
चल रही है इन दिनों खुद से मेरी खट पट मियाँ
मुश्किलें आएं तो हंसकर झेलना भी सीखिए
ज़िंदगी वर्ना लगेगी आपको झंझट मियाँ
बदहवासी का ये आलम क्यूं है बतलाओ ज़रा
लोग भागे जा रहे हैं किसलिए सरपट मियाँ
जिनसे हम उम्मीद करते हैं, संवारेंगे इसे
कर रहे हैं मुल्क को वो लोग ही चौपट मियाँ.
गाँव आकर ढूँढता हूँ गाँव वाले चित्र वो
छाँव बरगद की किधर है?है कहाँ पनघट मियाँ
पीढ़ियों को कौन समझायेगा कल पूछेंगी जब
लाज क्या होती है क्या होता है ये घूंघट मियाँ
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