मंगलवार, अक्तूबर 4

नज़र में आजतक मेरी कोई तुझसा नहीं निकला

नज़र में आज तक मेरी कोई तुझसा नहीं निकला
तेरे चेहरे के अन्दर दूसरा चेहरा नहीं निकला

कहीं मैं डूबने से बच न जाऊँ, सोचकर ऐसा
मेरे नज़दीक से होकर कोई तिनका नहीं निकला

ज़रा सी बात थी और कशमकश ऐसी कि मत पूछो
भिखारी मुड़ गया पर जेब से सिक्का नहीं निकला

सड़क पर चोट खाकर आदमी ही था गिरा लेकिन
गुज़रती भीड़ का उससे कोई रिश्ता नहीं निकला

जहाँ पर ज़िन्दगी की , यूँ कहें खैरात बँटती थी
उसी मन्दिर से कल देखा कोई ज़िन्दा नहीं निकला

13 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद शानदार लाजवाब गज़ल । एक-एक शे’र लाजवाब।

    कृपया मेरे ब्लॉग्स पर भी आएं ,आपका हार्दिक स्वागत है -
    http://ghazalyatra.blogspot.com/
    http://varshasingh1.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  2. "ज़रा सी बात थी और कशमकश ऐसी कि मत पूछो
    भिखारी मुड़ गया पर जेब से सिक्का नहीं निकला"

    वाकई, 'नज़र में आज तक मेरी कोई तुझसा नहीं निकला'|
    सुन्दर एवं मेरी पसंदीदा ग़ज़ल|बधाई एवं महानवमी तथा विजय-दशमी की शुभकामनायें|
    -अरुण मिश्र .

    जवाब देंहटाएं
  3. आ.वर्षा जी एवं अरुण मिश्र जी,
    प्रतिक्रिया के लिए आभार .महानवमी तथा दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं .

    जवाब देंहटाएं
  4. यती साहब
    अरसे से आपकी रचनाओं का प्रशंसक रहा हूँ..... ये ग़ज़ल उसी फेहरिस्त का हिस्सा है.
    मतला बहुत उम्दा है
    नज़र में आज तक मेरी कोई तुझसा नहीं निकला
    तेरे चेहरे के अन्दर दूसरा चेहरा नहीं निकला
    वाह वाह.....
    और ये शेर भी क्या खूब निकला है_____
    ज़रा सी बात थी और कशमकश ऐसी कि मत पूछो
    भिखारी मुड़ गया पर जेब से सिक्का नहीं निकला
    जल्दी मुलाकात होगी.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! हर एक शेर एक से बढ़कर एक है! लाजवाब प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय पवन कुमार साहब,
    प्रतिक्रया के लिए आभार.ग्रेटर नोएडा आने पर मुलाक़ात करूँगा.अभी कुशीनगर में हूँ.गोरखपुर में एक दिन बी.आर.विप्लवी जी के यहाँ बैठा था.आपकी चर्चा चली...

    जवाब देंहटाएं
  7. सड़क पर चोट खाकर आदमी ही था गिरा लेकिन
    गुज़रती भीड़ का उससे कोई रिश्ता नहीं निकला
    Sachmuch samaj ki girti samvedna chinta ka vishy hai. Achhi rachna

    जवाब देंहटाएं
  8. ज़रा सी बात थी और कशमकश ऐसी कि मत पूछो
    भिखारी मुड़ गया पर जेब से सिक्का नहीं निकला

    Sanvedna ki Soch liye Panktiya..... Bahut Badhiya

    जवाब देंहटाएं
  9. मोनिका जी ,प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ .

    जवाब देंहटाएं
  10. कहीं मैं डूबने से बच न जाऊँ, सोचकर ऐसा
    मेरे नज़दीक से होकर कोई तिनका नहीं निकला

    हर शेर लाजवाब ...शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  11. रजनीश जी,प्रतिक्रिया और शुभकामनाओं के लिए आभार...

    जवाब देंहटाएं
  12. waaaah kya baat hai sirji, bahut umda, khaaskar 2nd n 3rd sher

    जवाब देंहटाएं